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केस्को के पीएफ में 50 करोड़ से अधिक का हेरफेर ...

एक-एक कर्मचारी का ब्यौरा तलब

कानपुर में केस्को के संविदा कर्मचारियों का पीएफ न जमा होने के मामले में पीएफ विभाग ने जांच तेज कर दी है। प्रारंभिक जांच-पड़ताल में 50 करोड़ से अधिक के पीएफ के हेरफेर का मामला सामने आ रहा है। यह रकम और भी ज्यादा हो सकती है। हालांकि ईपीएफओ के मुताबिक केस्को की ओर से सभी दस्तावेज उपलब्ध न कराने के कारण अभी देनदारी का निर्धारण नहीं हो सका है। विभाग ने एक-एक कर्मचारी का ब्यौरा तलब किया है। इसमें स्थायी और संविदा कर्मचारी दोनों शामिल हैं। इनकी संख्या हजारों में है।

सूत्रों के मुताबिक जांच में यह तथ्य भी सामने आ रहे हैं कि संविदा कर्मचारियों को जो वेतन भुगतान होता था उसमें पहले तय मानदेय का 12 फीसदी पीएफ काट लिया जाता था। कर्मचारियों को आधा मानदेय ही भुगतान किया जाता था। उस पर भी 12 फीसदी पीएफ काट लिया जाता था। उस पीएफ को पीएफ ट्रस्ट में जमा किया जाता था। वर्ष 2000 में केस्को बनने के बाद पहले से बने ट्रस्ट में यह पैसा जमा किया जाता था। यह भी नियमानुसार गलत था। सूत्रों की माने तो केस्को की ओर से महज 10 फीसदी दस्तावेज ही उपलब्ध कराए गए हैं।

वर्ष 2018-19 की बैलेंसशीट के अलावा स्थायी कर्मचारियों का जीपीएफ और यूपीपीसीएल की ओर से बैलेंसशीट उपलब्ध कराई गई है। पीएफ विभाग ने केस्को के गठन से लेकर अब तक एक-एक कर्मचारी का ब्योरा मांगा है ताकि कर्मचारियों की सही संख्या और जमा पीएफ की जानकारी जुटाई जा सके। जांच में यह भी सामने आ रहा है कि संविदा कर्मचारियों को नकद भुगतान होता था। यह कितने साल और कितना किया गया। इसकी जानकारी पीएफ विभाग कर रहा है। बताया गया कि सरकारी विभाग में जो भी वेतन आदि का भुगतान होता है। उसका अधिकारी बिल लगाते हैं लेकिन इसमें भी मनमानी की बात सामने आ रही है।

निवेश की भी मांगी जानकारी 

सूत्रों ने बताया कि जिन-जिन कर्मचारियों का ट्रस्ट में पीएफ का पैसा जमा किया गया। इसके अलावा ट्रस्ट में जमा पीएफ का पैसा कहां-कहां निवेश किया, कितना रिटर्न मिला। इसकी भी जानकारी विभाग ने मांगी है।

आउटसोर्स कंपनी से गड़बड़झाला

 केस्को में संविदा कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया आउटसोर्स से होती थी। वर्ष 2000-2019 तक 10 से अधिक आउट सोर्स कंपनियों की सेवाएं ली गई। इन कंपनियों की ओर से पीएफ भुगतान किया जाना होता था। इन कंपनियों को भुगतान केस्को से होता था। अब इसकी जांच की जा रही है कि इन सालों में कितने कर्मचारियों का पीएफ जमा किया गया। पीएफ विभाग यह भी पता लगा रहा है कि यह आउटसोर्स कंपनियां कौन संचालित कर रहा था। या किसी के इशारे पर फर्जी आउटसोर्स कंपनियां चल रही थी।

केस्को है मुख्य सेवा प्रदाता  

सूत्रों ने बताया कि पीएफ विभाग के नियमों के अनुसार मूल कंपनी पर ही पीएफ जमा करने की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में केस्को के उच्च अफसरों पर ही कार्रवाई होने की आशंका है। हालांकि पूरी जांच होने में अभी समय लगेगा।

एक्ट में शामिल न होने का भी तर्क

बताया गया कि केस्को की ओर से संविदा कर्मचारियों का पीएफ कुछ समय जमा भी किया गया लेकिन सभी कर्मचारियों का भुगतान नहीं हुआ। जब पीएफ विभाग की ओर से 7 ए की कार्रवाई की गई तो केस्को की ओर से तर्क रखा गया कि पीएफ एक्ट के प्रावधान उन पर लागू नहीं होते हैं।

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