शिकायतों के आधार पर की गई होटल आशा पैलेस पर छापामारी ...
नदारद मिला स्टाफ़
कानपुर: बदनाम हो चले हरबंश मोहाल के होटलों पर कसता कानूनी शिकंजा। क्षेत्रीय जनता सामाजिक संस्थाओं एवं मीडिया द्वारा मिल रही शिकायतों के अंतर्गत सीओ कलेक्टरगंज श्वेता यादव की अगुवाई में हरबंश मोहाल थाना ने की होटल आशा पैलेस पर छापामारी। होटल के कमरों में आपत्तिजनक स्थिति में पाए गए चार अविवाहित जोड़े। होटल रजिस्टर में नही दर्ज थी जिनकी पूर्ण जानकारी (दस्तावेज़) नदारद मिला होटल स्टाफ़। मौके पर उपस्थित मिला मात्र एक अधेड़ वृद्ध जो कि मौक़ा पाकर हुआ होटल से फ़रार।
निरंतर प्राप्त हो रही सूचनाओं एवं शिकायतों के आधार पर की गई होटल आशा पैलेस पर छापामारी, नियमानुसार सभी पर की जाएगी कार्यवाही-सीओ श्वेता यादव
क्षेत्र, होटल, समस्या...
क्षेत्र- कानपुर सेंट्रल स्टेशन सिटी साइड प्लेटफार्म संख्या 9 थाना हरबंश मोहाल अंतर्गत आने वाला पहला निकटतम मोहल्ला हरबंश मोहाल एक मिश्रित आबादी वाला क्षेत्र जहाँ की जनता की परेशानी की वजह बने हुए है बरसों से क्षेत्र में संचालित यात्रियों की सुविधाओं के लिए बने होटल।
होटल- कानपुर सेंट्रल स्टेशन के सिटी साइड टर्मिनल संख्या 9 के बाहरी क्षेत्र हरबंश मोहाल में तक़रीबन एक दर्जन से अधिक यात्री होटल। जो कि अपनी कारस्तानियों के चलते आज कल है सब के निशाने पर।
समस्या- सरकारी एवं सामाजिक मानकों का मख़ौल उड़ाते हरबंश मोहाल के होटल, जिनका संचालन पूर्ण रूप से हो रहा है मानकों के विपरीत, साफ सफाई से सुरक्षा तक किसी भी मानक के न्यूनत्तम स्तर से भी बद्दतर दशा, कानपुर सेंट्रल स्टेशन से चंद कदमो की दूरी पर एक क्षेत्र हरबंश मोहाल जहाँ यात्रियों के ठहरने के लिए उनकी सुविधा अनुसार दर्जनों होटल, परन्तु बीते कुछ वर्षों से यह होटल कुछ अन्य कारणों से चर्चा का विषय बने हुए है, एक ऐसा विषय जो प्रशासनिक रूप से अपराध एवं सामाजिक रूप से एक कलंक या दूसरे शब्दों में पाप कहना अधिक बेहतर होगा। हरबंश मोहाल के होटल तब्दील हो चुके है मौज मस्ती अय्याशी के अड्डो में। जहाँ बे-रोक टोक पैसा फेक तमाशा देख का खेल क्षेत्र की जनता पूरे दिन देखा करती है, अर्थात इन होटलों में जोड़ो का आवागमन, वैसे तो होटलों में जोड़ो का आवागमन प्रतिबंदित नही है और न ही प्रत्येक जोड़ा संदेहास्पद परंतु अगर इस कहावत पर गौर किया जाए कि हमने बाल धूप में नही सफ़ेद किए तो आप समझ जाएंगे कि होटल और इनमें आने जाने वाले जोड़ो पर हम और क्षेत्रीय जनता सवाल क्यों उठाती है। जवाब साफ और सीधा है इन होटलों में यात्रियों का आवागमन नाम मात्र, उसके विपरीत नाबालिक अविवाहित जोड़ो की मौज मस्ती के लिए चंद घण्टों का सुकून भरा ठिकाना, परंतु जो सबसे भयावक है वह है इन होटलों का देह व्यापार के अड्डो में तब्दील होना। जहाँ आप के नोटो का वज़न आप की सुविधाओं को निर्धारित करता है बिना किसी कागज़ी खानापूर्ति के ठीक वैसे ही जैसे आज कल वाहन चेकिंग में सर पर हेल्मेट होना चाहिए पेपर डीएल कोई नही देखने वाला। हम यह कदापि नही कह रहे कि सब होटल संचालक इस प्रकार के कुकृत्यों में संलिप्त है परंतु जाने अनजाने वह लालच की भूख के चलते इसके भागीदार बन चुके है या बनते जा रहे है। दलालों और देह व्यापार में संलिप्त महिलाओं एवं पुरुषों की इन होटलों में निरंतर आवाजाही क्षेत्रीय लोगो द्वारा देखी गई है जो इस बात का सबूत है कि अगर प्रशासन द्वारा चूहे बिल्ली के खेल से चार कदम आगे बढ़कर सशक्त कठोर कार्यवाही नही की गई तो सिर्फ क्षेत्र को नही बल्कि कानपुर को विश्व पटल पर बदनामी के इस कलंक(वैश्यावृत्ति का क्षेत्र) को अपने मानचित्र पर रेखांकित करने को बाध्य होना पड़ेगा।
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