कागज़ों में सिमट कर रह गया स्वच्छ भारत अभियान, ज़िम्मेदार कौन ...
स्वच्छता मिशन अभियान को मुहं चिढ़ाता नगर निगम का एक कूड़ेदान
कानपुर: प्रधानमंत्री मोदी जी का स्वच्छ भारत का स्वप्न अब स्वप्न की बन कर रह गया है,समय समय पर स्वच्छ्ता का जिन चिराग से अवश्य निकल कर बाहर आ जाता है परंतु ज़मीनी हक़ीक़त सब को मुंह चिढ़ाती है, चाहें वह आम जनता हो सम्बंधित अधिकारी विभाग या फिर प्रशासन सब थोता चना बाजे घना मुहावरे को चिरतार्थ करते है, जनता कही सजग तो कही लापरवाही की चरम सीमा को पार करें है तो वही विभाग और संबंधित अधिकारी कागज़ी खानापूर्ति में मग्न है वहीं प्रशासन का क्या क्या करे का रोना और बिना हैल्मेट धारी वाहन चालक अपराधियों को पकड़ने की तत्परता की बलि चढ़ गया स्वच्छ भारत अभियान, इसका या अर्थ नही की सब हाथ पर हाथ रखे बैठे है, काफी कार्य हुआ है और हो भी रहा है परंतु जो होना चाहिए स्वच्छ्ता के प्रति उस स्तर पर कार्य कही नही हुआ।
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नगर निगम का कूड़ेदान का डब्बा जो खुद ही कूड़े मे पडा हुआ हैं, ट्रान्सपोर्ट के ढकनापुरवा मे एक ऐसा ही नजारा देखने को मिला जहाँ सरकार स्वच्छता अभियान की सफलता के प्रति शहर के कोने कोने को साफ करने मे कोई कसर नहीं छोड़ने के लिए वचनबद्ध हैं, वहीं यह कचरे का डब्बा खुद ही कूड़े मे पड़ा हुआ हैं,गौरतलब बात यह है कि कूड़ेदान को नगर निगम उठाने कि जरा सी ज़हमत नहीं उठाना चाहता है तो आम जनता से आप क्या उम्मीद कर सकते है,जनता अपना कूड़ा कहाँ फेके, कूड़े के डिब्बे के बाहर या फिर डिब्बे के ऊपर, नगर निगम के कर्मचारियों को इसकी कोई सुध नहीं हैं, जगह जगह प्रचार के लिए विज्ञापन एवं गंदगी न फ़ैलाने की चेतावनी और दण्ड शुल्क के बोर्ड तो सरकार और विभाग द्वारा अवश्य लगा दिए गए है परंतु स्वच्छता के प्रति कोई भी अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाहन पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से कर रहा है,इस कार्यशैली से स्वच्छ्ता का उत्तर साफ पता चलता हैं क्या क्षेत्र साफ होगा क्या शहर और क्या देश साफ होगा सब कुछ भगवान भरोसे हैं यहां पर, हम सब की लापरवाही ही संक्रमण, रोगों, प्रदूषण तथा विश्व के मानचित्र पर सबसे गंदे एवं प्रदूषित क्षेत्रों में से एक कि क्षेणी में लाकर खड़ा कर दिया है जो कि शर्मसार करने वाली बात है।
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