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लोगों की उदासीनता,शहर में पीएम आवास योजना का हाल बुरे ...

सर्वे के परिणामों से सूडा और केंद्र सरकार को कराने के निर्देश

शासन ने डिमांड सर्वे कराए बिना पीएम आवास योजना के तहत फ्लैट बनाने पर रोक लगा दी है। शहर में बिना डिमांड इस योजना के तहत 40 हजार फ्लैट बनने थे, जो इस निर्णय के बाद फिलहाल नहीं बनेंगे। प्रमुख सचिव (आवास) दीपक कुमार ने केडीए अधिकारियों के साथ हाल में हुई बैठक में यह निर्देश दिया है। लोगों की रुचि (मांग) न होने पर उन्होंने जारी परियोजनाओं को भी रद्द करने का निर्देश दिया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना को अमली जामा पहनाने की राह में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए प्रमुख सचिव ने प्रदेश भर के विकास प्राधिकरणों के अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। बैठक में प्राधिकरणों के अधिकारियों ने प्रमुख सचिव को बताया कि लक्ष्य के सापेक्ष पीएम आवास योजना के तहत फ्लैटों की मांग नहीं हो रही है। 

इस संबंध में प्रमुख सचिव ने कहा कि योजना के फ्लैटों की संख्या के बराबर आवेदन और आर्थिक सक्षमता (इकोनॉमिक वायबिलिटी) न मिले, तो ऐसी योजनाओं को रद्द कर दें। जिन योजनाओं में फ्लैटों के आवंटन किए गए हैं, उनके रखरखाव के लिए फंड बनाने और उनके संचालन के लिए आरडब्लूए, प्राधिकरण और किसी सरकारी अधिकारी की समिति गठित करने भी निर्देश दिए। 

केडीए को शासन की ओर से जारी लक्ष्य के मुताबिक शहर में 2020-21 तक 40 हजार फ्लैट बनाने थे। लोगों की उदासीनता के चलते अधिकारी समझ नहीं पा रहे थे कि बिना डिमांड अगले चरण के फ्लैट किस आधार पर बनवाए जाएं। शासन के इस फैसले से केडीए अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। प्रमुख सचिव ने डिमांड सर्वे के परिणामों से सूडा और केंद्र सरकार को भी अवगत कराने के लिए भी निर्देश दिया है।

पीएम आवास योजना के अंतर्गत लोग फ्लैटों को लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। केडीए ने 10 जुलाई से लेकर 9 अगस्त के बीच भागीरथी-जान्हवी में 777, सनिगवां में 667, कुलगांव में 1782, बिनगवां में 1193, उचटी में 2048 और रूमा में 3840 समेत कुल 10,307 फ्लैटों के लिए आवेदन मांगे थे। सिर्फ 2939 लोगों ने ही आवेदन किया।

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