जच्चा-बच्चा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए बनेगा निगरानी कक्ष ...
बायोमेडिकल वेस्ट बिन और एंटीसेप्टिक सॉल्यूशन की व्यवस्था
कानपुर देहात। जिले के सरकारी अस्पतालों (जिन अस्पतालों में प्रसव कराए जाते हैं) में अब निगरानी कक्ष की स्थापना की जाएगी। इसमें प्रसव के बाद दो घंटे तक जच्चा-बच्चा को रखा जाएगा। इसके लिए सीएमओ को निर्देश जारी किए गए हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक पंकज कुमार ने पत्र जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार के न्यू बार्न एक्शन प्लान स्टडी में पाया गया है कि अस्पतालों में शिशुओं की होने वाली मौतों में तीन चौथाई मौत जन्म के एक सप्ताह के भीतर होती है। इसके अलावा 37 फीसद से अधिक नवजात शिशु की मौत प्रसव के 24 घंटे के अंदर हो जाती है। इसमें 50 फीसद जच्चा (मां) की भी संख्या है। यूपीटीएसयू (उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई) ने अप्रैल 2019 में 25 उच्च प्राथमिक जिलों में रोलिंग फेसलिटी सर्वे किया। इसमें सामने आया कि प्रसव के चौथे चरण में 52 प्रतिशत महिलाओं और 85 फीसद प्रसव के बाद नवजात शिशुओं की महत्वपूर्ण जांच नहीं की जाती हैं। इससे मातृ व शिशु के मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया और स्वास्थ्य विभाग को सभी सरकारी अस्पतालों (जहां प्रसव कराए जाते हैं) में निगरानी कक्ष बनाने के निर्देश दिए हैं। इस पर अमल भी शुरू हो गया है।
जच्चा-बच्चा की देखभाल के लिए जिले के उन अस्पतालों में निगरानी कक्ष बनाया जाएगा, जहां महिलाओं का प्रसव किया जाता है। निगरानी कक्ष प्रसव कक्ष के पास ही बनाया जाएगा। प्रसव के फौरन बाद जच्चा-बच्चा को भर्ती किया जाएगा। इसमें दो घंटे तक दोनों को जरूरी जांचों के अलावा बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दी जाएंगी। डा. हीरा सिंह, सीएमओ
निगरानी कक्ष में 24 घंटे सेवाएं दी जाएंगी। इसके लिए वहां एक स्वास्थ्य कर्मी की ड्यूटी लगाई जाएगी। सीएमओ ने बताया कि इसमें दो बेड होंगे। साथ ही कक्ष में ड्रग कार्नर और आक्सीजन सिलिंडर जैसे आपातकालीन उपकरण भी होंगे। कक्ष में इमरजेंसी ड्रग, मेडिसिन के साथ-साथ परीक्षण-ट्रे भी होगी। बायोमेडिकल वेस्ट बिन और एंटीसेप्टिक सॉल्यूशन की व्यवस्था की जाएगी।
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