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तिरपाल के नीचे गुजरी जलपरी के परिवार की रात ...

नेता पूछने तक नहीं आए

कानपुर में सेना ने सोमवार को मैस्करघाट स्थित कैंट बोर्ड की जमीन को कब्जा मुक्त कराया। कार्रवाई की जद में आए सात कब्जेदारों में जलपरी श्रद्धा शुक्ला का भी मकान आया। सेना द्वारा मकान गिराए जाने से जलपरी के परिवार को एक तिरपाल के नीचे रात गुजारनी पड़ी।
श्रद्धा के पिता ललित शुक्ला ने बताया कि सेना की कार्रवाई के बाद रहने को कोई जगह नहीं बची तो बेटी को रिश्तेदार के घर भेज दिया। कहा कि प्रतियोगिताओं से पदक जीतने पर बेटी को सिर आंखों पर बैठाने वाले संगठन और नेता आज पूछने तक नहीं आए। मकान गिराए जाने से श्रद्धा को मिले पदक भी मलबे में दब गए।

श्रद्धा की उपलब्धियां

श्रद्धा ने डेढ़ वर्ष की उम्र में गंगा तैराकी शुरू की थी। वर्ष-2014 में जाजमऊ पुल से सरसैया घाट तक 16 किमी की तैराकी की थी। इसके बाद इंदिरा प्रियदर्शिनी अवार्ड, कानपुर रत्न से सम्मानित की गई थी। वर्ष-2015 में कानपुर से इलाहाबाद तक 280 किमी तैराकी करने पर माधवराव सिंधिया और अंतरराष्ट्रीय रामायण अवार्ड मिला। वर्ष-2016 में कानपुर से वाराणसी तक 570 किमी की साहसिक तैराकी पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड से सम्मानित किया था। श्रद्धा का अगला लक्ष्य कानपुर से हरिद्वार तक 1275 किमी की तैराकी करना है। इसकी शुरुआत वह मार्च में करेगी।

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